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Akbar Birbal Story In Hindi | बादशाह अकबर और बीरबल की कहानी हिन्दी में
Akbar Birbal Story In Hindi | बादशाह अकबर और बीरबल की कहानी हिन्दी में:- एक बार की बात है बादशाह अकबर अपने दरबार में सभी मंत्रियों के साथ बैठे थे। वो सब अकबर की बाते सुन रहे थे। अकबर कह रहा था आलू कितनी अच्छी सब्जी है। उसे जिसके साथ चाहो मिला के कहा सकते हो। जैसे चाहो वैसे पका के कहा सकते हो। सब से जरूरी तो ये है के आलू सब को पसंद आता है। भला ऐसा भी कोई आदमी होगा क्या जिसे आलू न पसंद हो। सभी मंत्रियों ने अकबर की बात पर हामी भारी लेकिन बीरबल बिल्कुल चुप था। अकबर उसको चुप देख कर उस से कहा। बीरबल तुम खामोश क्यू हो। क्या तुम मेरी बात से सहमत नहीं। बीरबल ने महाराज ऐसा नहीं है। मै आपकी बात से सहमत हूं लेकिन बहुत सारे ऐसे भी व्यक्ति है जिन्हे आलू पसंद नहीं।
तुम्हे मुझे साबित करना होगा अकबर ने बीरबल से कहा। फिर अकबर ने बीरबल से एक सवाल किया। तुम्हारे मजहब में ज्यादा तर भगवान राजा ही है। तो जर ये बताओ जब उसके किसी भक्त हो तकलीफ़ होती है तो वो अपने नौकरों को क्यों नहीं भेजते वो खुद क्यों आते है। बीरबल ने फिर से कहा महाराज इसका भी जवाब मै आपको कुछ दिनों में दूंगा।
शाम को अकबर बाग में बैठ कर सोच रहा था आखिर कैसे समझाए वो अपने बादशाह अकबर को। तभी उसके मन में एक विचार आया। फिर कुछ दिनों बाद अकबर बाग में टहल रहा था। उसकी नजर बीरबल पर गई। उसने बीरबल से पूछा तुम्हे याद है न मैंने तुमसे कुछ पूछा था। बीरबल ने कहा जी महाराज मुझे बिल्कुल याद है। अकबर ने पूछा फिर जवाब कब मिल रहा है मुझे। बीरबल ने कहा जल्द हि मिलेगा महाराज धीरज रखिए।
Akbar Birbal Story:- एक दिन दो पहर को बादशाह अकबर खाने के लिए का रहे थे। बीरबल भी उनके साथ ही था। वो दोनो खाने के लिए बैठे। रसोइया आया और खाना लगा दिया। अकबर ने देखा सभी खाना सिर्फ आलू का ही बना हुए है। अकबर रसोइया पर चिल्लाया तुमने सिर्फ आलू क्यों बनाया। चिकन कबाब कहा है। बीरबल ने कहा धीरज रखिए महाराज मैंने है रसोइया से कहा था ऐसा खाना बनाने को। अकबर ने कहा उसकी क्या वजह है बताओ।
बीरबल ने कहा महाराज आप ही ने कुछ दिन पहले कहा था। अगर ज़िन्दगी भर भी सिर्फ आलू खाना हो तो भी कोई मना नहीं कर सकता। फिर आप एक ही बार में ऐसा कर रहे है। अकबर बीरबल की बात समझ गया। उसने कहा बीरबल तुमने बिल्कुल सही कहा था। कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक तरह का ही खान पूरी ज़िन्दगी नहीं खा सकता।
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फिर एक दिन बादशाह अकबर और उसके कुछ मंत्री बाग में टहल रहे थे। उनके साथ ने बीरबल भी था। वो सब आपस में बात कर रहे थे। तभी तालाब के किनारे एक दासी अकबर के पोता को गोद में लेकर खेला रही थी। तभी अचानक से उसके हाथ से अकबर का पोता छूट गया और तालाब में गिर गया। सभी मंत्री तालाब की तरफ दौरे। अकबर बिना कुछ सोचे समझे तालाब में कूद गया और अपने पोते को बचा लिया। जब बचा कर बाहर निकला तो उसने देखा के तो उसका पिता नहीं बल्कि एक खिलौना है।
वो दासी के ऊपर चिल्लाया और कहा तुमने ऐसा क्यों किया। इतना भद्दा मज़ाक वो भी मेरे साथ। दासी ने कहा महाराज ऐसा करने के लिए मुझे बीरबल ने कहा था। अकबर बीरबल के ऊपर गुस्सा हो गया। उसने कहा अगर तुमने इसकी बरी वजह ना बताई तो तुम्हे दंड भुगतना पड़ेगा। बीरबल ने कहा महाराज मै आपको इसका जवाब दूंगा लेकिन उस से पहले आप मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए। अकबर ने कहा पूछो।
बीरबल ने कहा आप जब आपका पिता डूबा तो आप खुद क्यों नदी में कूदे। आपने किसी नौकर को क्यों नहीं कहा। अकबर ने कहा मेरे पोते की जान जाने वाली थी। खतरे ने मेरा पोता था तो मै किसी और को क्यों कहता। मेरी जिम्मेदारी है मै अपने बच्चो की रक्षा करू। बीरबल ने कहा यही है आपके प्रश्न का उत्तर आपने पूछा था ना भगवान अपने भक्तो की मदद खुद क्यों करते है। वो अपने नौकरों को क्यों नहीं भेजते। अकबर बीरबल की बात समझ गया। और उसकी बुद्धि से प्रसन्न हो कर बहुत खुश हुआ।
Akbar Birbal Story In Hindi | बादशाह अकबर और बीरबल की कहानी हिन्दी में
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