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Moral Stories In Hindi - ईमानदारी का इनाम
Moral Stories In Hindi - ईमानदारी का इनाम:- बहुत समय पहले कि बात है एक व्यक्ति था जिसका नाम रजत था। वह बड़ा मेहनती और ईमानदार था। पेशे से वह एक पेंटर था। वह अपना काम पूरी ईमानदारी और लगा के साथ करता था।
फिर भी इस से वह सिर्फ इतने पैसे ही कमा पाता था जिससे उसके दो वक़्त के रोटी का इंतजाम हो जाए। वह रोज़ काम करने के लिए निकलता और काम के बाद घर आ जाता था।
एक दिन की बात है। गांव का एक जमींदार ने रजत को बुलवाया। रजत ने कहा ठीक है मै आता हूं। रजत जैसे ही जमींदार के पास पहुंचा तो देखा के जमींदार परेशान दिख रहा है। जमींदार ने रजत से कहा मेरे एक नाव को पेंट करना है। रजत ने कहा इसमें दिक्कत क्या है मै पेंट कर दूंगा।
जमींदार ने कहा परेशानी ये है के वो नाव आज के आज ही पेंट हो जानी चाहिए। रजत ने कहा कोई बात नहीं मै आज के आज ही उसे पेंट कर दूंगा। फिर जमींदार ने पूछा पैसे कितने देने होंगे तुम्हे। रजत ने कहा 1500 रूपए। जमींदार मान गया।
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फिर जमींदार रजत को नाव दिखने के गया। नाव दिखा कर कहा अब तुम जल्दी से काम शुरू करो ताके आज ही पुरा कर सको। ये कह कर जमींदार वह से चला गया। रजत ने अपना ब्रश और पेंट निकला और एक तरफ से पेंट करना शुरू कर दिया।
थोड़ा सा पेंट करने के बाद उसने देखा के नाव में एक छेद है। छेद छोटा सा ही था लेकिन वो नाव को डूबा सकता था। रजत ने सोचा अगर जमींदार ने इतनी जल्दी में पेंट करने को बोला है तो जरूर कहीं जाना होगा। रजत ने ये सोचकर कहा चलो मै ही ठीक कर देता हूं इसको।
रजत ने नाव को ठीक करके उसे पूरा अच्छे से पेंट कर दिया। फिर रजत जमींदार के पास गया और पैसे के बारे में कहा। जमींदार ने कहा तुम कल सुबह आ कर पैसे ले जाना। रजत ने कहा ठीक है और वह से चला गया।
अगले दिन जब जमींदार अपने कमरे में था। उसका मैनेजर आया और कहा नदी के पास जो नाव थी वो कहा है। जमींदार ने कहा उस पर मेरी पत्नी और बच्चे गए है सैर के लिए। लेकिन उस नाव में तो छेद था मैनेजर ने कहा।
इस बात ने जमींदार को पूरा परेशान कर दिया और वह अपने कुछ नौकरों के साथ उन्हें ढूंढ ने निकल गया। जैसे ही वो दरवाजे से निकला वो देखा उसके बीवी बच्चे सही सलामत घर वापिस आ रहे है। उसने पूछा के नाव मेंटो छेद था फिर तुम सब सही सलामत कैसे लौट आए। तो यूनलोगो ने बताया के हमे तो ऐसी कोई बात का सामना ना करना पड़ा। नाव में कोई छेद नहीं था।
फिर जमींदार समझ गया के नाव का छेद किसने भरा था। फिर जब रजत पैसे लेने आया तो जमींदार ने रजत को पैसे दिए। जब रजत ने पैसा गिना तो 1500 की जगा 6000 रुपए थे। रजत ने कहा ये पैसे तो बहुत ज्यादा है। इस पर जमींदार ने कहा कल जो तुमने काम किया ये उसका इनाम है। रजत समझ गया और जमींदार का धन्यवाद किया और वह से खुशी खुशी चला गया।
Moral Of The Story
शिक्षा:- ईमानदारी और मेहनत से काम करने का नतीजा हमेशा अच्छा ही होता है।
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