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चार भाइयों की कहानी | Moral Story In Hindi
चार भाइयों की कहानी | Moral Story In Hindi. बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक मछुआरा रहता था। मछुआरा का नाम अकाश था। वो पूरे दिन मेहनत करता और नदी से मच्छली पकड़ कर लाता और उसे बेचता। और इसी से उसका घर चलता। अकाश को ज्यादा मुनाफा नहीं होता था मछली बेचकर। इसलिए उसने सोचा क्यों ना अपने बच्चों को कुछ हुनर हि सीखा दिया जाए। उसके पास चार बेटा था। सबसे बड़े बेटे का नाम राम था, उस से छोटे का नाम श्याम, उस से छोटे का नाम रोहन और सब से छोटा का नाम सोहन था। एक दिन उसने अपने सभी बच्चों को बुलाया।
उसके सभी बच्चे उसके पास आ गए। फिर अकाश ने अपने सभी बच्चो से कहा बेटा अब तुम सब बड़े हो गए हो। अब समय आ गया है के तुम सब भी कुछ ना कुछ करो और मेरा हाथ बटाओ। अकाश के सभी पुत्र मान गए और पूछा। बताइए पिताजी हमे क्या करना होगा। तुम सब को शहर जा कर हुनर सीखनी होगी। सभी बच्चे मान गए और अगले दिन ही शहर के लिए निकाल गए।
जाते हुए रास्ते में सबसे छोटे भाई सोहन ने कहा भाई हम सब शहर जा रहे है तो क्यों ना अलग अलग जा कर अलग अलग हुनर सीखा जाए। सभी भाइयों ने उसकी बात मान ली और आगे चलते रहे। आगे जा कर उनसे एक ही जगह से चार रास्ते जाते हुए दिखे। सबसे बड़े भाई राम ने कहा चलो हम सब यह से अलग अलग जाते है और अलग अलग हुनर सीख के वापिस चार साल बाद यही पे मिलेंगे। क्या कहते हो सब तैयार हो। सभी ने हामी भरी और अपने अपने रास्ते निकाल गए।
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चार भाइयों की कहानी | Moral Story In Hindi:- सबसे पहले रास्ते पर राम गया। कुछ दूर आगे जाने के बाद उसे एक आदमी मिला। राम उस आदमी के पास गया और कहा भाई मै हुनर सीखने की तलाश में आया हूं। अगर आपको कोई हुनर आती हैतो क्या आप मुझे सिखाएंगे। उस आदमी ने कहा मै एक चोर हूं और मुझे सिर्फ चोरी करनी आती है। राम को पहले गलत लगा लेकिन फिर उसने सोचा हुनर तो हुनर होती है मै सीख लेता हूं लेकिन कभी किसी का बुरा नहीं करूंगा। ये सोच कर राम ने कहा ठीक है आप मुझे ये हुनर सिखाइए। चोर ने राम को सीखा दिया और राम बहुत ही जल्दी इसमें माहिर भी हो गया।
दूसरे रास्ते पर श्याम गया था जिसे काफी आगे जाने के बाद एक नदी मिली। श्याम उस नदी के पास गया तो उसने देखा एक आदमी टेलीस्कोप से आसमान में कुछ देख रहा है। श्याम उसके पास गया और पूछा आप ये क्या कर रहे है। उस आदमी ने कहा मै बहुत ही ज्यादा दूर की चीजें भी आराम से देख सकता ही और इस वक़्त मै तर देख रहा हूं। श्याम ने कहा क्या आप मुझे ये हुनर सिखाएंगे। वो आदमी मान गया और इसे दूर की चीजे देखना सिखाया। श्याम जब वापिस आने लगा तो उस आदमी ने श्याम को एक टेलीस्कोप दिया और कहा इसमें तुम आसमान तक की दूरी आराम से देख सकते हो।
तीसरे रास्ते पर रोहन गया। आगे जाकर रोहन को एक व्यक्ति मिला। पूछने पर पता चला के वह एक शिकारी है। रोहन ने उस से पूछा क्या आप मुझे शिकार करना सिखाएंगे। वह व्यक्ति मान गया। रोहन ने तीर कमान चलना सीखा और कुछ ही दिनों की मेहनत के बाद वो एक कुशल शिकारी बन गया। उसका प्रशिक्षण पुरा होने के बाद शिकारी ने कहा अब तुम पूरी तरह तैयार हो और अपने घर जा सकते हो। रोहन ने कहा ठीक है और अपना तीर कमान ले कर निकल गया।
आखरी रास्ते पर सोहन गया। सब की तरह सोहन को भी एक आदमी मिला जिस से उसने हुनर सीखने की बात कही। उस आदमी ने कहा मै सिलाई का काम करता हूं अगर तुम चाहो तो मै तुम्हे सिलना सीखा दूंगा। लेकिन इसके लिए तुम्हे मेहनत करनी पड़ेगी। सोहन ने कहा ठीक है आप जैसा कहेंगे मै वैसा ही करूंगा। उस आदमी ने कहा तुम मेरे साथ चलो। उसने सोहन को सिलाई सीखा दी और सोहन ने जब बहुत महारत पा लिया तो अपने घर वापिस जाने का सोचा। उस आदमी ने सोहन को एक सुई धागा दिया और सोहन वापिस अपने घर के लिए निकाल गया।
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चार साल बाद चारो भाई उसी जगह पर मिले। बड़े भाई ने कहा चलो अब घर चले। चारो भाई जब घर पहुंचे तो उसके पिता ने सब से पूछा तुम लोगो ने क्या क्या सीखा। सब भाई बारी बारी से अपनी हुनर के बारे में बताया। उसके पिता ने कहा ठीक है। तुम लोग थोड़ी डर आराम करके खाना खा लो फिर मै तुम सब की परीक्षा लूंगा। सभी बच्चो ने कहा ठीक है और चले गए। सब ने खाना खाने के बाद अपने पिता की बताई हुई जगह पर गया।
वहां पर उसके पिता ने कहा ये एक जामुन का पेड़ है। अब तुम सब मुझे अपनी काबिलियत दिखाओगे। सब ने पूछा हमे क्या करना है पिताजी। इस पेड़ पर एक घोसला है। तो सबसे पहले श्याम तुम अपने टेलिस्कोप से देख कर बताओ घोस्ले में कितने अंडे है। श्याम ने देखा और बताया उसमे पांच अंडे है। फिर उसके पिता ने कहा राम तुम बिना किसी को पता चले चीजे ले लेते हो। तुम अब पेड़ पे जाओ और सारे अंडे ले कर आओ बिना चिड़िया को पता चले। राम ने काम आसानी और सफाई से कर लिया। फिर उसने अपने शिकारी बेटा रोहन को कहा। तुम इन अंडो को ऐसे तोड़ो के इसमें एक भी बच्चे मरे नहीं। रोहन ने अपने पिता के कहा के मुताबिक अंडे तोड़ दिए। अंडे से बच्चे निकालने के बाद मछुआरे ने सोहन से कहा अब तुम इस अंडे को ऐसे सिल दो जैसे कुछ हुआ ही नहीं। सोहन ने अंडों को सिल दिया। और फिर राम ने अंडे को वापिस अपनी जगह पर रख दिया। मछुआरे ने अपने सभी बेटों की प्रशंशा की और वापिस अपने घर चले गए।
एक दिन की बात है। वह सब जिस राज्य में रहते थे वहां के राजा की बेटी यानी राजकुमारी को एक ड्रैगन उठा कर ले गया। राजा ने पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया। जिस किसी ने भी राजकुमारी को बचा कर लाया तो उसकी शादी राजकुमारी से कर दी जाएगी। जैसे ही मछुआरे को ये बात पता चली उसने अपने बेटो के साथ राजा के दरबार में का पहुंचा। मछुआरे ने श्याम से कहा बताओ ड्रैगन कहा के कर गया है। श्याम ने बताया राजकुमारी को घाटी की तरफ ले जाया गया है। वह तक पहुंचने के लिए उन्हें एक नाव की जरूरत होगी। राजा ने कहा इनके लिए नाव का बंदोबस्त करो।
चारो भाई नाव पर सवार हो कर घाटी के पास पहुंचे। उन्होंने देखा कि ड्रैगन हो रहा है। राम ने अपनी काबिलियत दिखाते हुए गया और राजकुमारी को छुड़ा कर ले आया। जैसे ही वो लोग नाव में बैठे तो देखा ड्रैगन उठ गया है और उसने इन सब पर आक्रमण कर दिया है। ड्रैगन के हमले से नाव थोड़ा सा टूट जाता है। तभी रोहन अपनी तीरकमान का कमाल दिखाया है और ड्रैगन को मार देता है।
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अब मुसीबत टल गई थी लेकिन नाव के टूटने के कारण उसमे पानी बह रहा था और वो सब डूब रहे थे। तभी सोहन ने अपने सुई धागा का कमाल दिखाया और नाव को सिल दिया। अब वो सब सुरक्षित राजा के पास पहुंच गए। राजा ने कहा राजकुमारी एक है और तुम सब चार। तुम सब आपस में ये तय कर लो राजकुमारी से शादी कौन करेगा। सब ने राजकुमारी से शादी करने के लिए आपस में ही लड़ाई शुरू कर दी। राजा समझ गया मेरी बेटी इनके साथ नहीं रह सकती। तभी मछुआरे आया और अपने बेटो को शांत करते हुई कहा। आप हमे कुछ और दे दीजिए राजकुमारी के बदले। राजा मान गया और राज्य का एक चौथाई हिस्सा उन लोगो को दे दिया। वह सब एक चौथाई राज्य पाकर बहुत खुश हुए और अपना जीवन व्यतीत करने लगे।
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