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Moral Stories In Hindi For Kid - बंदर का कलेजा
एक समय की बात है। जंगल के बीच से एक नदी गुजरती थी। नदी के किनारे एक विशाल पेड़ था। उस पर एक बंदर रहता था। वो दिन भर पेड़ पर उछलता कूदता और पेड़ के रसीले फल खाता। पूरे दिन वो अकेले ही खेलता था। उसे बड़ा दुख होता था के उसका कोई दोस्त नहीं है। वो हमेशा किसी के इंतजार में रहता के कभी तो कोई मुझसे दोस्ती करे या बात चीत के लिए ही कोई साथी मिल जाए। पर उस कोई नहीं मिलता। एक दिन उस ने नदी में देखा के अजीब सी चीज़ चल रही है नदी में। वो बहुत हैरत से उस देखने लगा। थोड़ी देर बाद वो चीज़ बाहर आ गई।
बंदर ने उस अजीब सी दिखने वाली चीज़ से पूछा तुम कौन हो, तो उसने जवाब दिया में एक मगरमच्छ हूं। फिर बंदर ने उस से पूछा तुम्हें पहले कभी नहीं देखा तुम यह क्यों आए हो। मगर ने जवाब दिया के मै यहां भोजन की तलाश में आया हूं। नदी की सारी मछलियां खत्म हो रही है। बंदर ने अफसोस जताया और मगर से कहा तुम ये फल खा कर क्यों नहीं देखते। फिर उसने फल तोड़ कर मगर की तरफ फेंका और मगर ने उसे खाया तो उसे बड़ा मज़ा आया। फिर मगर ने बंदर को और फल फेंकने को कहा। बंदर ने बहुत सारे फल फेके और मगर ने बारे चाव से फल खाया।
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फिर वो लोग काफी देर तक बात करते रहे। बंदर ने मगर से कहा क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे। मगर ने कहा है बिल्कुल बनूंगा। बंदर को बहुत खुशी हुई। फिर मगर ने कहा मै अब चलता हूं अब हम कल मिलेंगे। बंदर ने कहा ठीक है। अगले दिन जब मगर आगा तो फिर बंदर ने उसे बहुत सारे फल खिलाए। दोनों को बड़ा मज़ा आ रहा था। दोनों ने खूब सारी बाते की और फिर मगर ने वापिस घर जाने की बात की। बंदर ने कहा ठीक है अब फिर कल आना।
बंदर बहुत प्रसन्न था के उसका भी एक मित्र है जिसके साथ वो गपशप कर सकता है। दोनों रोज़ मिलते खाते खिलाते और बात चीत करते। एक दिन बातो हि बातो में बंदर को पता चला के मगर का घर नदी के दूसरी तरफ है और वहां उसकी पत्नी भी रहती है।
यह जानते ही बंदर ने उलाहन दिया “मगर भाई, तुमने इतने दिन मुझे भाभीजी के बारे में नहीं बताया मैं अपनी भाभीजी के लिए रसीले फल देता। तुम भी अजीब निकट्टू हो अपना पेट भरते रहे और मेरी भाभी के लिए कभी फल लेकर नहीं गए।
उस दिन बंदर ने मगर को खूब सारे फल तोड़ कर दिए और कहा ' ये सब मेरी भाभी के लिए '। मगर फल ले कर घर पहुंचा तो उसकी पत्नी ने उस से पूछा तुम्हें फल कहा से मिला। मगर ने मगरनी को सारी बाते बताई। मगरनी भी बहुत खुश हुई। अगले दिन फिर मगर बंदर से मिलने गया। और फिर बात चीत के बाद उसे फल दिया और मगर फल ले कर घर आ गया। ये सिलसिला कई दिन तक रहा।
एक दिन मगरनी ऐसे ही खाली बैठी थी। उसे मगर और बंदर की दोस्ती खलने लगी। बंदर बहुत सारे फल तो देता था लेकिन अब बंदर की वजह से मगर उस से दूर रहता था। मगरनी शैतान खोपड़ी और दुष्ट थी। उसने सोचा जो बंदर इतने स्वादिष्ट फल खाता है उसका कलेजा कितनी स्वादिष्ट होगा। उसने एक तरकीब सोची और मगर के घर आने के बाद वो कराहने लगी।
मगर ने ये सब देख कर उस से पूछा ये सब क्या है। मगर्णी ने बारे ही चालाकी से कहा मुझे एक बीमारी लग गई है वैधजी ने कहा है उसे अब सिर्फ बंदर का कलेजा ही बचा सकता है।
मगर ने साफ इंकार कर दिया के वो अपने दोस्त से विश्वास घात नहीं कर सकता। फिर मगरनी ने कहा ' हा हा तुम्हारे लिए तो तुम्हारा दोस्त ही सब कुछ है मै और मेरे पेट में पल रहे तुम्हारे बच्चे तो कोई महत्व नहीं रखते हम मरते है तो मारने दो '। मगर बावनाओ में बह गया और उसकी बुद्धि काम करना बंद कर दी। अगले दिन वो सुबह जल्दी चला गया।
बंदर ने मगर को इतनी जल्दी आता देख कर हैरान हुआ और मगर से पूछा के आज इतनी जल्दी कैसे आ गए। मगर ने कहा तुम्हारी भाभी तुमसे मिलना चाहती है। तुम्हारी भाभी कह रही थी कि तुम्हारा दोस्त तुम्हे रोज़ फल देता है और कभी तुम उसे मुझसे मिलाने भी नहीं लाए। इसी वजह से आज उसने मुझे जल्दी घरसे निकाल दिया और अगर में तुम्हे ले कर नहीं गया तो वो मुझे घर में घुसने न देगी। बंदर को बहुत ही ज्यादा प्रसन्नता हुई। और उसने मगर से कहा जाने का मन तो मेरा भी बहुत है लेकिन मुझे तैरना नहीं आता।
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मगर ने कहा तुम उसकी चिंता मत करो मेरे पीठ पर बैठ जाओ। बंदर उछल कर बैठ गया। जब मगर नदी के बीच में पहुंच गया तो पानी के अंदर बाहर करने लगा। बंदर तिलमिला उठा और मगर से पूछा तुम ये क्या कर रहे हो। मगर जोर से हंसा और बंदर का कलेजा वाला सारी बाते बता दी। बंदर बहुत दुखी हुआ के उसका मित्र उसके साथ विश्वासघात कर रहा है।
बंदर चतुर था। उसने मगर से कहा अरे भाई बस इतनी सी बात तुम्हारी दोस्ती के लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है। मेरा कलेजा खाने से अगर भाभी जी ठीक होती है तो मै तुम्हे जरूर दूंगा। लेकिन आज मै अपना कलेजा लाया नहीं हूं उसे पेड़ पर ही छोड़ आया। अगर तुमने ये सारी बाते बता दी होती तो मै साथ लेके आता। मगर ने कहा ठीक है मै तुम्हे पेड़ के पास लेकर चलता हूं और वो के आया। जैसे ही पेड़ के पास पहुंचा बंदर उछल कर पेड़ पर बैठ गया। और पेड़ पर से एक फल तोड़ कर मगर को मारा और कहा तुमने मेरे साथ विश्वासघात किया। तुमने मुझे जैसे फसाया मैंने भी तुम्हे फसाया। कोई अपना कलेजा भला निकाल सकता है क्या। मगर को समझ आ गई और वो खाली हाथ चला गया।
Moral Of The Story
शिक्षा:- दूसरों को धोखा देने वाला स्वयं धोखा खा जाता हैं।
Moral Stories In Hindi For Kid - बंदर का कलेजा
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