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सोने का अंडा | Golden Egg Hindi Moral Story
सोने का अंडा | Golden Egg Hindi Moral Story:- बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। लकड़हारा का नाम रामू था। वह गांव में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। उसके पत्नी का नाम मीना था और उसके बच्चे का नाम आशीष और हिमांशु था।
लकड़हारा रोज़ जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने जाता था। वह जंगल से लकड़ियां इकट्ठा कर के लाता और बाज़ार में बेच देता था। इसी तरह से उसे कुछ पैसे मिलते थे जिससे के उसका घर चलता था। वह रोज़ जंगल जाता और लकड़ियां ला कर बेचता। कई सालो से वह यही काम कर रहा था। लेकिन उस ने अभी तक इतना धन नहीं बना पाया था जिस से उसके बच्चो का गुज़ारा हो सके।
एक दिन की बात है लकड़हारा जब जंगल पेड़ काटने गया। तो पेड़ काटते हुए उसे एक उपाय सूझी। उसने सोचा अगर मै थोड़े ज्यादा लकड़ी काट कर ले जाई और बेची तो मुझे थोड़ा ज्यादा पैसा मिलेगा। जिस से मै कुछ और काम भी कर सकूंगा। फिर वह सोचने लगा गया कौनसा काम। उसने सोचा क्यू ना मै मुर्गियां पालू।
रात को जब वह लकड़ियां बेच कर घर पहुंचा तो उसने अपनी पत्नी मीना को ये बात बताई। उसकी पत्नी ने कहा। आपने बिल्कुल ठीक सोचा है। अगर हम अलग से मुर्गियां पाल ले तो अंडे देंगी और उसमे से बच्चे निकलेंगे जिस से हमारी धन की समस्या दूर हो जाएगी।
सोने का अंडा | Golden Egg Hindi Moral Story:- अगले दिन लकड़हारा जब लकड़ी काटने गया उसने काफी ज्यादा लकड़ी काट ली। फिर वह बाज़ार गया और सारे लकड़ियों को बेच कर मुर्गी के दुकान पर गया। वहां जाकर उसने कहा मुझे अंडे देने वाली दस मुर्गियां चाहिए। मुर्गी वाले ने कहा ठीक है मै तुम्हे दस मुर्गियां देता हूं।
वह मुर्गियां लाकर लकड़हारे को दे दिया। लकड़हारा ने सब मुर्गी ले कर घर चला गया। घर पहुंचते हि उसने अपनी पत्नी से कहा ये को मै मुर्गी ले आया। लकड़हारे की पत्नी ने सभी मुर्गियों को एक बड़े से खोड़ले में बंद कर दिया।
आगली सुबह जब लकड़हारा मुर्गियों को देखने गया तो उसने देखा सभी मुर्गियों ने अंदा दिया है। जब वह अंडा उठाने गया तो सभी मुर्गियों में से एक मुर्गी ने सोने का अंडा दिया था। लकड़हारे को समझ नहीं आया कि कौनसी मुर्गी ने सोने का अंडा दिया है। फिर उसने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और लकड़ी काटने के लिए निकाल गया जंगल की तरफ।
जब वो शाम को अपने घर लौटा तो उसने अपनी बीवी से कहा। मीना आज तुम सभी मुर्गियों को अलग अलग रखना। तो इस पर मीना ने पूछा क्यों। लकड़हारे ने उसे नहीं बताया और कहा तुम करो तो सही मै तुम्हे कल बताऊंगा। उसकी पत्नी ने ऐसा ही किया।
अगले दिन जब लकड़हारा सो कर उठा तो उसने देखा के सबसे अलग दिखने वाली मुर्गी ने सोने का अंडा दिया है। वह बहुत खुश हो गया। वह भागा भागा गया और अपनी पत्नी से कहा। हमारे पास एक ऐसी मुर्गी है जो के सोने का अंडा देती है। उसने पत्नी ने यकीन नहीं किया लेकिन अंडा दिखाने के बाद उसे भी विश्वास हो गया।
फिर लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी लेकर जंगल की तरफ निकल गया। ऐसे ही चार पांच दिन बीत गए। फिर एक दिन उसकी पत्नी घर अकेली बैठी थी। वह सोचने लगी अगर अंडा इस मुर्गी के पेट में है तो क्यों ना सारे अंडे एक साथ निकाल लिए जाए। रोज़ रोज़ अंडे के लिए इंतजार तो नहीं करना पड़ेगा।
रात को जब उसका पति घर आया तो उसने अपनी पति से कहा। हमे रोज़ रोज़ अंडे के लिए इंतज़ार करना पड़ता है। क्यों ना हम ऐसा करे के सारे अंडे एक साथ ही निकाल ले मुर्गी का पेट काट के। लकड़हारा लालच में आ गया और पत्नी की बात पर हामी भर दी।
अगले दिन जब वो उठे तो देखा मुर्गी ने अंडा दिया है। उसने अंडा ले लिया और साथ ने मुर्गी भी पकड़ कर ले आई। लकड़हारे और उसकी पत्नी लालच की वजह से खोखले हो चुके थे। उनमें कुछ सोचने समझने की ताकत ना थी। आखिर कार लकड़हारे ने अपनी छुरी से मुर्गी का पेट काट दिया।
अंदर कोई सोने के अंडे का ख़ज़ाना ना था। ये देख कर वो दोनो बहुत दुखी हो गए। उन्हें समझ आ गया। अब जो एक सोने का अंडा मिल रहा था वो भी नहीं मिलेगा। वो लोग उदास हो गए और अपनी लालच पर पछतावा करने लगे। अब धीरे धीरे करके उनकी हालत पहले जैसे हो गई।
सोने का अंडा | Golden Egg Hindi Moral Story
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