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Moral Stories In Hindi | अब तुम पत्थर गिनो
Moral Stories In Hindi | अब तुम पत्थर गिनो:- एक बार की बात है। एक गांव में धनिलाल नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह अपने नाम की तरह ही धनी था। उसने बहुत साल मेहनत करके एक हज़ार सोने के सिक्के इकट्ठा किए थे। इतना धन होने के बावजूद था वह बहुत कंजूस। वह कभी किसी को अपने धन में से एक भी रुपया नहीं देता था।
धनिलाल अपना सारा सोना मटके में रख कर अपने घर के पीछे जमीन में गाड़ के रखा था। वह हर रोज आधी रात के बाद जहां सोना गाड़ा था वह जाता और उसे बाहर निकालता। बाहर निकाल कर वो गिनती शुरू कर देता एक दो तीन चार ऐसे ही करके हज़ार तक। जब वो देखता के हज़ार पुरा हो गया तो बहुत खुश होता और वापिस उसको वहीं गाड़ देता और वापिस आ कर सो जाता।
एक दिन की बात है धनीलाल का परोसि सुनील उसके पास आया। सुनील बहुत दुखी था। वह धनिलाल के पास गया और कहा। धनीलाल तुम मेरे पड़ोसी हो और पड़ोसी होने के नाते क्या तुम मेरी मदद करोगे। धनीलाल ने पूछा क्या हुआ है आखिर। तो उसने बताया।
मेरा बेटा शहर जा कर पढ़ना चाहता है। लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं है के मै उसे शहर भेज के पढ़ा सकु। अगर तुम अभी मेरी मदद करदो तो मै तुम्हारा एहसान मंड रहूंगा। ये बाते सुं कर धनी लाल ने कहा फिर मै तो महान बन जाऊंगा। ये पैसे जो मैंने अपनी मेहनत से इकट्ठा किया है। मै तुम्हे क्यों दूंगा। ये लड़का तुम्हारी जिम्मेदारी है तुम जानो इसे कैसे पढ़ाना है।
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Moral Stories In Hindi | अब तुम पत्थर गिनो:- सुनील दुखी हो गया और कहा मै तुमसे पैसे ऐसे ही नहीं लेने आया हूं। तुम मुझे ये कर्ज के तौर पर देदो मै तुम्हे ये वापिस कर दूंगा। धनीलाल नहीं माना और सुनील को भगा दिया। सुनील वहां से चला गया।
धनीलाल रोज़ की तरह फिर पैसे गिन ने चला गया आधी रात को। उसने गिना और बहुत खुश हुआ। उसकी यही आदत थी लगभग पिछले चार साल से। फिर एक रात की बात है। धनीलाल सोने के सिक्के गिन ने गया।
वह गिन ही रहा था तभी एक चोर वहां पहुंच गया। चोर वहीं छुप कर इसके गिनती सुन रहा था। 991,992........,999 और एक हज़ार। धनीलाल गिन कर बहुत खुश हुआ। फिर उसने हमेशा की तरह सभी सिक्कों को वापिस रख दिया और जमीन में गाड़ दिया और वापिस सोने चला गया। चोर धनीलाल के जाते ही मटके को निकाल लिया। उसने मटके से सारे सिक्के निकाल कर उसमे सिक्के की जगह पत्थर भर दिया।
अगले दिन धनीलाल उठा और अपने काम पार चला गया। जब वह रात को लौटा तो उसने खाना खाया और आराम करने लगा। फिर जब आधी रात बीत गई तो उसकी आंख खुली। रोज़ की तरह वह आज फिर से मटके में अपना सोना देखने गया। जब उसने मटका निकाल कर देखा तो उस में एक भी सिक्का नहीं था।
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यह देख कर धनीलाल के होश उड़ गए। वह जोर जर से चीखने चिल्लाने लगा। हाय मै लूट गया। हाय मै बर्बाद हो गया। इतनी रात को धनीलाल की चीख सब कर उसके सारे पड़ोसी उठ गए। वह सब भागे भागे इसके पास आए और इनसे पूछा क्या हुआ है। आखिर बात क्या है। तुम क्यों ऐसे रो रहे हो।
एक आदमी आया और धनीलाल के कंधे पर हाथ रख कर उसे चुप कराते हुए पूछा। भाई आखिर क्या बात हो गई तुम क्यू रो रहे हो। धनीलाल ने कहा मैंने अपनी कमाई का कुछ हिस्सा सोने के सिक्के में बदलवा लिए थे। सारे सिक्के मैंने एक घड़े में रख कर अपने घर के पीछे धरती में गाड़ दिया था। लेकिन किसी ने मेरे सारे पैसे चुरा लिए।
Moral Stories In Hindi | अब तुम पत्थर गिनो:- ये सुन कर सब को बहुत अफसोस हुआ। धनीलाल ने कहा मैंने रोज़ आकर उसे गिनती भी करता था। पूरे एक हज़ार सिक्के थे मेरे पास। पिछले चार सालों से मै रोज़ अर्ध रात्रि के बाद इसे गिन ने आता था। कभी मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ। फिर आज ये कैसे हो गया।
उसके पड़ोसियों में एक बहुत बुद्धिमान व्यक्ति था। वह धनीलाल के पास आया और कहा। देखो धनीलाल ये सिक्के तुम्हारे पास चार सालों से थे। लेकिन सिर्फ तुम इसे गिना करते थे। ये कभी तुम्हारे काम नहीं आया। तुम मेरी बात गौर से सुनो।
तुम ये मान लो जो तुम्हारे मटके में है वो पत्थर नहीं बल्कि सोने के सिक्के है। इस पर धनी लाल चुप हो गया और उसकी बाते सब ने लगा। फिर उसने कहा जब ये पिछले चार सालों में तुम्हारे काम नहीं आया तो आगे भी तुम्हे इसकी जरूरत नहीं पड़ती।
इसलिए तुम ये रोना और सोग मनाना छोरो और अपने काम पर फिर से खूब ध्यान दो। देखना जल्द ही तुम्हारे सोने के सिक्के के बराबर धन तुम्हे मिल जाएंगे। और जब तक तुम्हारे सोने के सिक्के तुम्हे वापिस नहीं मिलते। तुम ये पत्थर गीनो।
Moral Of The Story
शिक्षा:- हमे ज्यादा धन की लालच नहीं करनी चाहिए। इसके अपेक्षा जब हमारे पास धन हो तो दूसरो की मदद करनी चाहिए और वो भी बिना सुद और बायाज के। ज्यादा धन हमारी मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
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