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Short moral stories hindi - आलसी बेटा
Short moral stories hindi - आलसी बेटा. बहुत समय पहले की बात है। एक निकोला नाम का सूदखोर (साहूकार) था। वह बहुत मेहनती था। वह सुबह 5 बजे ही उठ जाता था। वह ईसाई धर्म का था। वह उठ कर सुभ सवेरे चर्च जाता था। वह अपना भगवान की पूजा के बाद वह अपने खेतों में चला जाता था और फिर वह से आकर भैंसो के तबेले में जाता था।
निकोला बहुत मेहनती था। जिस की वजह से वह दिन प्रतिदिन और भी ज्यादा अमीर होता जा रहा था। उसके पास एक बेटा था जिसका नाम कोसेस था। वह अपने बेटा के बारे में भी सोचता था। वह चाहता था के उसका बेटा भी उसके साथ काम करे जिस से वह भी काम बहुत अच्छे से सीख जाए। यह सोच कर वह एक दिन अपने बेटे को सुबह जल्दी उठाने गया।
कोसेस नहीं उठा तो निकोला वह से चला गया। अगले दिन फिर निकोला कोसेस को उठाने गया और वह आज भी नहीं उठा। ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। निकलो जब भी कोसेस को उठाता तो वह कुछ ना कुछ बहाना बना कर वापिस सो जाता।
एक दिन ऐसा आया के निकोला की तबीयत खराब हो गई। वह बीमार हो गया। वह उस हालत में सोचा करता था मै अब बचूंगा के नहीं। उसे अपने बेटे की बहुत फिक्र थी। लेकिन उसका बेटा बहुत ही आलसी था। वह ये सब नहीं सोचता था। उसे लगता था जिंदगी जीना बहुत आसान है।काफी वक़्त गुजर गया लेकिन निकोला ठीक नहीं हुआ। उसकी मृत्यु हो गई। उसके देहांत के बाद काम का सारा बोझ कोसेस के कंधो पर आ गया। लेकिन कोसेस बहुत आलसी और निकम्मा था। वह ना तो जल्दी उठता था और नाही उसका मन काम काज मे लगता था। इस वजह से उस काफी ज्यादा निकसान होने लग गया।
Short moral stories hindi - आलसी बेटा. एक दिन कोसेस की मां ने उसे बुलाया और कहा। बेटा तुम काम पर ध्यान क्यों नहीं लगते। तुम्हे मेहनत करना क्यों नहीं अच्छा लगता। अब तो तुम्हारे पिता भी इस दुनिया में नहीं रहे। अब तुम कब सीखोगे खुद से जीना। इस पर कोसेस ने कहा। मां अब मै भी काम करना चाहता हूं लेकिन मुझे कुछ भी समझ नहीं आता कैसे करना है। इस पर कोसस की मां बोली। देखो बेटा पास के ही शहर में तुम्हारे नाना रहते है। क्यों ना तुम उनके पास चले जाओ और उनसे सीखो। कोसेस मान गया।
कोसेस अगले दिन ही अपने नाना के पास गया। वह जाकर उसने अपने नाना को सारी बाते बताई। सारी बाते सुन ने के बाद उसके नाना ने कहा। तुम सुबह जल्दी यानी 5 बजे के आसपास उठा करो। उसके बाद चर्च जाया करो फिर को तुम्हारा भैंसो का तबेला है वहां जाया करो। इन सब जगहों के बाद काम पे जाया करो। कोसेस के नानाजी ने उसे यही सलाह दी। उसके बाद कोसेस लौट आया।
घर आने के बाद कोसेस ने बिल्कुल अपने नानाजी के कहा के मुताबिक काम किया। वह सुबह सवेरे उठ कर चर्च जाता फिर भैंसो के तबेले जाता और फिर वह से काम के लिए जाता था। यह काम वह रोज़ करने लगा। रोज़ रोज़ उसके काम पे आने की वजह से उसके मुलाजिमों ने घपला कर बेईमानी करना बंद कर दिया। जिस से उसके काम में फायदा ज्यादा होने लगा। कुछ ही दिनों में कोसेस को समझ आ गया के उसको घाटा सिर्फ उसकी आलास की वजह से होता था। अब धीरे धीरे उसकी हालत बिल्कुल सही हो गई और वह अपनी मां के साथ खुशी खुशी रहने लगा।
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