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तीन भाई और पत्थर का घर | Three Brothers And Stone House
तीन भाई और पत्थर का घर | Three Brothers And Stone House. बहुत समय पहले की बात है। रामपुर गांव में तीन भाई रहते थे। सबसे बड़ा का नाम सुरेश उस से छोटा महेश और सबसे छोटे का नाम राकेश था। तीनो भाइयों की आपस में ज़रा भी नहीं बनती थी। तीनो की आपस में खूब लड़ाई होती थी।
इनके पिता का देहांत बहुत पहले ही हो चुका था। जब वो छोटे थे तभी। लेकिन इनकी मां जिंदा थी और वही इनका पालन पोषण करती थी। इनकी मां खेती बारी किया करती थी जिनसे इन्हे इतना अनाज हो जाता था जिस से ये सब अपना गुज़ारा कर सके।
एक बार की बात है उनकी मा की तबीयत खराब हो गई। बेचारी काफी बुढ़ी भी हो चुकी थी। मां ने अपने तीनो बेटो सुरेश महेश और राकेश को बुलाया। वह सभी मां के पास आए तो उसने कहा। बेटा अब मै काफी बुढ़ी हो चुकी हूं। हो सकता है अब मै कभी ठीक ही ना हो सकूं। ऐसे ही चली जाऊं। मेरे जीते जी एक इच्छा है मेरी। क्या तुम सब मिलकर इसे पुरा करोगे। सुरेश ने कहा आप बताए क्या इच्छा है। इस पर उसकी मा ने कहा मै चाहती हूं तुम तीनों भाई मिल कर एक घर बनाओ और सब साथ मिल कर रहो। सुरेश ने कहा ठीक है और तीनो भाई बाहर चले आय।
बाहर आकर महेश ने कहा तुमने मां से क्यों कहा हम साथ रहेंगे। मुझे तुम्हारे साथ रहने का कोई शौक नहीं है। इस पर राकेश ने कहा है सही कहा। मुझे भी तुम दोनों में से किसी के भी साथ रहने का कोई शौक नहीं है। इस पर सुरेश बोला ये मां की आखरी इच्छा है। हमे इसे पुरा करनी चाहिए। लेकिन अगर तुमलोग ये नहीं चाहते तो कोई बात नहीं।
कुछ दिनों बाद उनकी मां का देहांत हो गया। मां के मारने का रस्म निभा के सभी भाई घर पर आए। सब ने सोचा अब मां नहीं है तो हम सब को सारा समान आपस में बांट कर अपना रास्ता देखना चाहिए।
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तीन भाई और पत्थर का घर | Three Brothers And Stone House:- सभी भाइयों ने सारा पैसा और जवाहरात आपस में बराबर बराबर से बांट लिए। सुरेश ने अपना घर बांस से बनाने की सोची। वह जाकर बांस खरीद लाया और जो पैसे बच्चे थे उस से घर का बाकी समान ले आया। उसने घर बनाना शुरू कर दिया। इसी तरह महेश ने अपना घर लकड़ी से बनाने की सोची। वह बाज़ार गया और ढेर सारा लड़की खरीद कर ले आया और घर बनाना शुरू कर दिया। राकेश ने अपना घर पत्थर से बनाने की सोची। वह पत्थर और सीमेंट खरीद लाया और घर बना लिए। लेकिन उसके पास अब पैसे ही नहीं बचे जिस से वह घर का बाकी समान ला सके। उसने कुछ दिन खेत में काम किया जिस से उसके पास पैसे आ गए और वो घर का बाकी समान भी के आया।
अब तीनो भाइयों का घर बनकर तैयार हो गया। तीनो खुशी खुशी अपना जिंदगी व्यतीत कर रहे थे। लेकिन एक दिन बहुत तूफ़ान आ गया। जिसमे सुरेश और महेश का घर टूट गया। वह दोनो भाग कर राकेश के यहां गए और वहां शरण ली। सभी को अपनी गलती का एहसास हुआ। सब ने एक दूसरे से माफी मांगी और खुशी खुशी अपना जीवन एक साथ व्यतीत करने लगे।
तीन भाई और पत्थर का घर | Three Brothers And Stone House
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