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Akbar Birbal Tales | बीरबल की खिचड़ी
Akbar Birbal Tales | बीरबल की खिचड़ी:- एक समय की बात है। बादशाह अकबर अपने सभी खास मंत्रियों के साथ टहलने निकला। जिनमे बीरबल भी शामिल था। अभी ठंड का मौसम चल रहा था। बागीचे में बिल्कुल ठंडी हवा चल रही थी जिस पर उसके मंत्रियों में से एक ने कहा। महाराज आजकल तो इतनी ठंड पड़ रही है के कोई भी घर से बाहर निकलना पसंद नहीं करेगा। सब काम छोड़ कर अपने घर में बैठ सिर्फ आराम करना ही चाहेंगे। अकबर तालाब का पानी छूट हुई कहा। पानी इतनी ठंडी है के जैसे बर्फ हो। फिर उसने कहा तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो।
इतनी ठंड में कोई भी आदमी काम करना पसंद नहीं करेगा। मैंने सही कहा ना बीरबल। इस पर बीरबल बोला। महाराज आपकी बात सही है के इतनी ठंड में कोई काम करना पसंद नहीं करेगा। लेकिन हमारे साम्राज्य में ऐसे भी बहुत से लोग है जो थोड़े से धन के लिए भी पूरी रात इस ठंडे पानी में खड़ा रहा सकते है।
तुम्हे हर वक़्त मेरी मुखालिफत करनी होती है। अगर तुम ये बात इतनी भरोसे के साथ कह रहे हो तो साबित करो। आज शाम को जब दरबार लगेगी तो तुम उसमे कोई ऐसा आदमी लेके आना। बीरबल ने कहा ठीक है महाराज आज शाम को मै ऐसे आदमी के साथ ही आऊंगा।
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Akbar Birbal Tales | बीरबल की खिचड़ी:- शाम को जब दरबार लगी। बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा। बताओ बीरबल क्या तुम्हे वो आदमी मिल गया जो रात भर पानी में खड़ा रह सकता है। जी महाराज मै ऐसे ही एक आदमी को तलाश करके लाया हूं। जो पूरी रात ठंडे पानी में खड़ा रहेगा धन के बदले। तुमने इस सारी बाते समझ दी है ना। अकबर ने पूछा। बीरबल ने कहा जी महाराज बस आप इनाम का रकम बता दे।
अकबर ने कहा रकम बहुत कम है। देखते है क्या ये बस इतने से रकम के लिए भी खड़ा रहने को तैयार है। बीस अशर्फियां मिलेंगे रात भर पानी में खड़ा रहने के लिए। क्या तुम तैयार हो। अकबर में पूछा। तो उस आदमी ने कहा कि महाराज मै तैयार हूं।
तो फिर चलो तालाब देखने कहा तुम्हे रात भर रहना है। बादशाह अकबर और बाकी मंत्री उस आदमी के साथ तालाब के पास गए। वह आदमी तालाब देख लिया और वहीं बैठ कर रात होने का इंतज़ार करने लगा। अकबर ने 4 सिपाहियो को बुलाया और कहा। तुम्हे इस पर कड़ी नजर रखनी है। इस रात भर पानी में रहना है। ध्यान रखना ये एक पल के लिए भी बाहर ना आए। अगर इसकी तबीयत जवाब दे दे तो इसे पानी से बाहर निकाल लेना। ये कह कर अकबर वह से चला गया।
वह आदमी सूरज ढलते ही पानी के अंदर चला गया। सिपाहियो ने पहर सख्त कर दिया। वह आदमी ठंड से बहुत कांप रहा था। लेकिन उस धन की सख्त जरूरत थी। तो वह बाहर भी नहीं आ सकता था।
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जब अगले दिन सूर्य उदय हुआ तो वह आदमी बाहर आया। उसे थोड़े देर आराम के बाद बादशाह के दरबार में ले जाया गया। अकबर ने उस से पूछा तुम सच में इतने ठंडे पानी में कैसे खड़े रहे। महाराज मै रात भर पानी में ही था आप चाहे तो सिपाहियो से भी पूछ सकते है। ठीक है लेकिन आखिर इतनी ठंड में तुम पानी खड़े रहे कैसे। इस पर वो आदमी बोला। महाराज शुरू मै यह बहुत मुश्किल था। लेकिन जब मै तालाब से थोड़ी दूरी पर लगे दिए पर ध्यान लगाया तो यह आसान हो गया।
बादशाह अकबर उस पर चिल्लाते हुए कहा। तुमने धोका किया है। तुमने कहा था तुम ठंडे पानी मै खड़े रहोगे। लेकिन तुम दिए से गर्मी ले रहे थे। तुम्हे कोई इनाम नहीं मिलेगा। अब तुम जा सकते हो। यह कह कर दरबार स्थगित कर दिया गया। सब लोग चले गए और वो आदमी भी चला गया।
शाम को जब दरबार लगी तो बीरबल गायब था। पूछने पर किसी को पता ना था के बीरबल कहा है। तो बादशाह ने एक सिपाही को बीरबल के घर की तरफ रवाना किया। वो सिपाही जब बीरबल के घर पहुंचा तो देखा। बीरबल ने चार लंबे लंबे बांस जोर कर उसमे एक हांडी टांगी है। सिपाही ने जब बीरबल से पूछा तो बीरबल ने कहा मै खिचड़ी बना रहा हूं। जब ये खिचड़ी तैयार हो जाएगी तो मै खुद बादशाह के दरबार में आ जाऊंगा।
जब सिपाही दरबार पहुंचा तो बादशाह ने पूछा क्या हुए बीरबल का। महाराज वो खिचड़ी बना रहा ही सिपाही ने कहा। चलो अब बीरबल से कल ही मुलाक़ात होगी। ये कह कर दरबार का काम शुरू कर दिया।
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अगले दिन जब दरबार लगी तो बीरबल फिर गायब था। अकबर ने फिर सिपाही को भेजा तो फिर से वही जवाब आया। अकबर ने कहा आखिर ऐसा कौनसा खिचड़ी बना रहा है बीरबल के इतना समय लग रहा है। अकबर ने सोचा क्यों ना चल के देखा जाए। ये सोचकर दरबार का काम शुरू कर दिया। दरबार खत्म होने के बाद अकबर बीरबल के घर गया।
वह उसने देखा के बीरबल ने थोड़ा सा आगा जलाया है। और काफी उचाई पर एक हांडी टांगे हुआ है। अकबर ने बीरबल से पूछ ये तुम क्या कर रहे हो। बीरबल ने जवाब दिया महाराज मै खिचड़ी बना रहा हूं। इस पर अकबर हस्ते हुए कहा। तुम इतनी ऊंचाई पर रख के खिचड़ी कैसे बनाओगे। वह तक तो आग की तपिश पहुंच ही नहीं रही है।
बीरबल ने कहा महाराज आग बहुत है धीरे धीरे कर के खिचड़ी पक ही जाएगी। अकबर ने कहा ये खिचड़ी कभी नहीं पकेगी क्युकी आग इतनी दूरी से हांडी को गर्माहट नहीं दे पा रही है।
इस पर बीरबल ने कहा क्षमा चाहता हूं लेकिन मै आपको यही समझना चाह रहा था। जब इतनी दूर से ये खिचड़ी नहीं पक सकती तो दिया के सहारे कोई इंसान इतनी सर्दी कैसे जिंदा रह सकता है।
अकबर को बात समझ आ गई और उसने बीरबल से कहा उस आदमी को दरबार में बुलाओ। वो आदमी दरबार आया तो अकबर ने उस से क्षमा मांगी। और कहा तुम्हारे साथ ज्यादती के बदले हम तुम्हे दस सिक्के ज्यादा देंगे। अकबर ने उसे इनाम दिया और वह आदमी चला गया।
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